Sunday, January 23, 2011

पिंजरा तोड़ के उड़ जाना है ज़िन्दगी
किनारे से बार बार टकराना है ज़िन्दगी
लपलपाते दिए की तरह जलना हो तो भी जियो
क्योंकि तम में जगमगाना है ज़िन्दगी
आँख में ठहरे आंसू की तरह
कभी कभी ठहर जाना है ज़िन्दगी
तो कभी कभी तूफान बनके कहर ढाना है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी ऊंचाई में है
ज़िन्दगी गहराई में है
ज़िन्दगी अच्छे बर्ताव में है
ज़िन्दगी उतार चड़ाव में है
कुछ नया बनाना है ज़िन्दगी
जो न चले उसे मिटाना है ज़िन्दगी
खुशियों को बाहें पसार बुलाना है ज़िन्दगी
और चाहे जैसा भी हो मौसम,
हर हाल में मुस्कुराना है ज़िन्दगी.
(Jan 4, 11)

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